
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने आज बलिया में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि “यदि मंगल पांडे नहीं होते तो गांधी, आंबेडकर, नेहरू, आज़ाद, भगत सिंह – कोई नहीं होता।” उन्होंने जोर देकर कहा कि “यदि मंगल पांडे ब्राह्मण नहीं होते तो यह अन्याय नहीं होता!”

उन्होंने कहा कि बलिया, जिसने आज़ादी का पहला शंखनाद किया, उसी की भूमि नगवा गाँव में जन्मे मंगल पांडे ने 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल फूंका और ब्रिटिश साम्राज्य के उस सीने पर पहली गोली चलाई जिसके बारे में कहा जाता था कि “वहाँ कभी सूर्यास्त नहीं होता”। यह गोली भारतीय आज़ादी की पहली चिंगारी थी।
अनुपम मिश्रा अपने दो दिवसीय बलिया प्रवास के दौरान अमर शहीद मंगल पांडे की जन्मभूमि नगवा गाँव पहुँचे, जहां उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की, उनके परिवारजनों से भेंट की और गाँव की उपेक्षा, दुर्दशा और बदहाली पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 1947 से लेकर 2025 तक कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन सभी ने केवल वादे किए, किसी ने भी शहीद की भूमि को उसका गौरव नहीं लौटाया।
उन्होंने सरकार से निम्नलिखित माँगें रखीं:
1. बलिया में मंगल पांडे की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा की स्थापना।
2. मंगल पांडे को “भारत रत्न” से सम्मानित किया जाए।
3. संसद भवन में उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की जाए।
4. बलिया को विशेष जनपद का दर्जा दिया जाए।
5. मंगल पांडे के गाँव नगवा को प्रेरणास्थल व शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जाए।

