महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत अहिल्याबाई होलकरः 8 साल की उम्र से शुरू हुआ सफर, महारानी बनकर किया महिला सशक्तिकरण।

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 बृजेश मिश्र, पूर्वांचल प्रेस, मऊ।

मऊ जिले में अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर परदहां ब्लाक में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भाजपा जिला उपाध्यक्ष संगीता द्विवेदी ने अहिल्याबाई के जीवन पर प्रकाश डाला।

अहिल्याबाई का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। वह बचपन से ही तेजस्वी और शिव भक्त थीं। उनकी जीवन यात्रा में निर्णायक मोड़ तब आया जब 8 वर्ष की आयु में मंदिर में संध्या आरती करते समय राजा मल्हार राव होलकर ने उन्हें सुना। राजा ने उनके पिता से मिलकर अपने पुत्र खांडेराव के लिए विवाह का प्रस्ताव रखा।कुछ समय बाद खांडेराव के निधन के बाद पूरे मालवा साम्राज्य की बागडोर अहिल्याबाई के हाथों में आई। ससुर राजा मल्हार राव के आग्रह पर उन्होंने राजपाट संभाला। महारानी के रूप में उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और न्यायप्रिय शासन से नई पहचान बनाई।मऊ सदर से पूर्व प्रत्याशी अशोक सिंह ने बताया कि अहिल्याबाई ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने स्व सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार दिलाया। साड़ी उद्योग की स्थापना कर बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए।

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