कमलेश यादव पहल टुडे
गाजीपुर। स्वामी सहजानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “बदलते सामाजिक परिवेश में कृषक समाज : स्वामी सहजानन्द सरस्वती के विचारों की प्रासंगिकता” शीर्षक के द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय अंतर्विषयक संगोष्ठी का उद्घाटन दीप प्रज्वलन एवं अतिथिगणों के स्वागत-सम्मान के साथ आरम्भ हुआ।से अमूल्य मोती हैं जिन्हें निकालकर समाज और देश का कल्याण किया जा सकता है।
‘अभिनव कदम’ पत्रिका के सम्पादक एवं प्रखर सामाजिक चिंतक जयप्रकाश धूमकेतु ने स्वामी जी के व्यक्तित्व का गहरा साम्य महापंडित राहुल सांकृत्यायन से स्थापित करते हुए स्वामी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में प्रदत्त योगदान को रेखांकित का सार्थक प्रयास किया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप ने किसानों के प्रति ब्रिटिश सरकार की शोषणकारी नीतियों और उसके विरुद्ध स्वामी जी के संघर्ष को गम्भीरता से उद्घाटित करने का प्रयास किया।
तकनीकी सत्र में स्वागत उद्बोधन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. राकेश पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विलोक सिंह ने किया। मंच संचालन डॉ. शशिकला जायसवाल, राजकीय महिला पीजी कॉलेज, गाजीपुर ने किया।
तकनीकी सत्र में करीब दो दर्जन शोधपत्रों का वाचन किया गया। संगोष्ठी में प्रज्ञान-पथ (स्मारिका), डॉ. प्रमोद कुमार अनंग कृत ‘उद्घोष’ काव्य संग्रह, डॉ. शशिकला जायसवाल रचित ‘हिंदी गद्य’ पुस्तकों का विमोचन भी हुआ।
संगोष्ठी में दूर-दराज से आए प्रबुद्धजन, शिक्षकगण, शोधार्थी, विद्यार्थी, पत्रकार, प्रो. रामनगीना यादव (सेवानिवृत्त), प्रो. गायत्री सिंह, प्रो. रामधारी राम, डॉ. विलोक सिंह, डॉ. कंचन सिंह, डॉ. शिल्पी सिंह, डॉ. प्रियंका यादव, डॉ. राकेश पांडेय, सुश्री तूलिका श्रीवास्तव, श्रीमती सौम्या वर्मा, श्रीकांत पांडेय, प्रो. अखिलेश शर्मा ‘शास्त्री’, प्रो. विनय कुमार दुबे, प्रो. विमला राय आदि उपस्थित रहे।