मऊ में अवैध अस्पतालों की भरमार है। हर एक विधानसभा में दर्जनों फर्जी अस्पतालों का संचालन खूब धड़ल्ले से किया जा रहा है। यह सब जिला प्रशासन के नाक के नीचे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। इस प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शिकायत मिलने पर जांच उपरांत कार्रवाई करने की बात कही है। लेकिन विभागीय कार्रवाई से पहले ही शहर के कुछ फर्जी अस्पतालों के बाहर ताला लटकता दिखाई दे रहा है। पिछले दिनों जनपद के कुछ अस्पतालों के खिलाफ समाजवादी पार्टी के जिला संयोजक द्वारा शिकायत की गई थी। जिस पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने टीम गठित कर जांच उपरांत कार्रवाई करने की बात कही थी। लेकिन शिकायत के बाद एक हफ्ते बीत गए और कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद फर्जी अस्पतालों के खिलाफ दैनिक ने भास्कर ने प्रमुखता से खबर चलाई और अब खबर का असर भी देखने को मिल रहा है। विभागीय कार्रवाई से पहले ही नगर क्षेत्र के कई अस्पतालों के बाहर ताला लटकता दिखाई दे रहा है।
शिकायतकर्ता के अनुसार, नगर क्षेत्र स्थित कई फर्जी अस्पतालों का संचालन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है। लेकिन अभी भी इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया है। हालांकि एक तरफ जहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नंद कुमार ने पुलिस और प्रशासन की सपोर्ट के बाद कार्रवाई करने की बात की है, वहीं दूसरी तरफ शहर में संचालित फर्जी अस्पतालों के संचालक अपने तथाकथित अस्पताल और नर्सिंग होम के बाहर ताला बंद कर फरार हैं।
इन सबके बीच अभी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने की रणनीति बना रहे हैं। तब तक फर्जी अस्पतालों का शटर बंद हो गया। ऐसे में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि बंद पड़े फर्जी अस्पतालों पर कार्रवाई कब और कैसे होगी। इसका जवाब तो जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं है। अब देखना यह होगा कि इतना सब होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कितना असर पड़ा है। यह भी देखने वाली बात होगी कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कब तक इन फर्जी अस्पतालों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने के आदेश जारी कर रहे हैं।