मधुबन के दरगाह स्थित गोशाला की गिनती कभी तहसील क्षेत्र के आदर्श गोशाला के रूप में होती थी। मगर वर्तमान में यहां की स्थिति बिलकुल उलट है। शुक्रवार की दोपहर लगभग 12:30 बजे जब यहां दैनिक भास्कर की टीम ने विजिट किया तो गोशाला पर ताला लटकता मिला। पशुओं की देखभाल के लिए यहां पर रखे गए कर्मचारी नदाराद रहे। तहसील क्षेत्र के परशुराम पुर से अपने बछड़े को गोशाला के हवाले करने आए संजय कुमार मल्ल परेशान दिखे। एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था ।गोशाला के मुख्य द्वार पर ताला लटक रहा था। संपर्क के लिए कोई नंबर भी नहीं था। आखिर किससे बात करें। अपनी पत्नी के साथ कारुवीर से आए राम शब्द अपनी बीमार पत्नी की वजह से अपने बछड़े को यहां छोड़ना चाहते थे और यहां की व्यवस्था देखने आए थे। मगर इस गोशाला की हालत देख उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। कहते हैं कि यहां पर अपने बछड़े को रखने से बेहतर है कि घर पर ही रखा जाए।
चार कर्मचारी, पर मौके पर एक भी नहीं
वैसे तो यहां पर रखे गए आवारा पशुओं की देखभाल के लिए वर्तमान में चार कर्मचारी हैं मगर मौके पर एक भी मौजूद नहीं मिला। अपने बछड़े को गोशाला के हवाले करने आए संजय कुमार मल्ल का कहना था कि आखिर किससे बात करें। पिछले करीब आधे घंटे से यहां खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं। यदि यहां पर पशुओं की देखभाल के लिए कर्मचारी रखे गए हैं तो फिर वह कहां हैं। पहले से यहां पर रखे गए आवारा पशु की देखरेख को ही कोई मौजूद नहीं तो फिर मेरे बछड़े का क्या होगा ।
राम शब्द बोले- यहां आकर इरादा बदल गया कारुवीर के रहने वाले राम शब्द अपनी पत्नी के साथ यह देखने आए थे कि गोशाला की स्थिति क्या है। उनके कहने के अनुसार उनकी पत्नी इन दिनों बीमार रहती हैं जिस कारण घर पर पशुओं की बेहतर देखभाल नहीं हो पाती है। इसलिए वह अपने पशु को यहां पर रखना चाहते थे। यहां की व्यवस्था देखने आए थे। मगर यहां की हालत देख उन्होंने अपना इरादा बदल लिया। कहते हैं कि यहां जिस हालत में पशु बेसहारा हैं, उससे तो बेहतर है कि घर पर ही रखा जाये।
दिन प्रतिदिन घट रही है पशुओं की संख्या
यहां पर रखे गए पशुओं की उपस्थिति पंजिका के अनुसार वर्तमान में यहां पर कुल 93 पशु रखे गए हैं। मगर मौके पर पशुओं की संख्या 50 के आसपास ही नजर आयी। शेष पशु कहां गए इसका जवाब देने वाला वहां कोई मौजूद नहीं मिला। स्थानीय लोगों की मानें तो कभी मधुबन तहसील क्षेत्र के आदर्श गोशाला के रूप में चिन्हित इस गोशाला पर पशुओं की संख्या तेजी से घट रही है। संख्या कम होने के बावजूद 93 की उपस्थिति को रोज ही मेंटेन किया जा रहा है। मौके पर मौजूद पशु भी लावारिस हालत में हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। तेजी से क्यों घट रही है पशुओं की संख्या । सड़कों पर घूम रहे बेसहारा पशु क्या गौशाला में आकर भी बेसहारा हैं।