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गोरखपुर में राप्ती तट पर रेत से उकेरी कलाकृतियां।

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सूर्यकान्त सिंह, पूर्वांचल प्रेस, गोरखपुर।

गोरखपुर के राजघाट स्थित राप्ती नदी के किनारे आज का दिन कला और रचनात्मकता का उत्सव बन गया। राज्य स्तरीय रेत कला आकृति प्रतियोगिता का आयोजन यहां हुआ, जिसे उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी के तत्वावधान में सिस्पा फाउंडेशन ने आयोजित किया।

खुले आसमान के नीचे, रेत पर हाथों से सजीव होती आकृतियां प्रतिभागियों की रचनात्मकता और उनके गहरे संदेशों की गवाह बनीं। बच्चों ने अपनी कल्पनाओं को रेत पर उतारा, जिसमें धर्म, संस्कृति, और समाज के प्रति उनकी जागरूकता स्पष्ट दिखी।

रेत पर बिखरी संवेदनाओं की झलक

छात्र-छात्राओं ने अपनी कला के माध्यम से धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को उकेरा। इसके साथ ही, कई बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण का आह्वान किया। रेत पर बनाई आकृतियां, जैसे वृक्ष, स्वच्छ जल और प्रदूषण मुक्त धरती, न केवल उनकी रचनात्मकता को दर्शा रही थीं, बल्कि समाज को जागरूक करने का संदेश भी दे रही थीं।

संवेदनशीलता और संदेश

प्रतिभागियों ने अपने दिल की भावनाओं को रेत पर इस तरह उतारा कि हर आकृति एक कहानी कहती नजर आई। किसी ने प्रदूषण से जूझती पृथ्वी का चित्रण किया, तो किसी ने स्वच्छता का महत्व समझाया। बच्चों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुंदर और स्वच्छ भविष्य का सपना दिखाया।

समारोह का जोश और समर्थन

दर्शकों ने बच्चों की कला को सराहा और आयोजकों ने इस प्रतियोगिता को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक बताया। सिस्पा फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह प्रतियोगिता बच्चों को न केवल अपनी कला दिखाने का मंच देती है, बल्कि उन्हें समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने और व्यक्त करने का अवसर भी प्रदान करती है।

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