सूर्यकान्त सिंह, पूर्वांचल प्रेस, गोरखपुर।
गोरखपुर के फर्टिलाइजर ग्राउंड में मंगलवार को शिव शिष्य परिवार द्वारा आयोजित शिव गुरु महोत्सव में रांची से पहुंची दीदी बरखा आनंद ने शिव के संदेश के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गोरखपुर में किए गए विकास कार्यों की प्रशंसा की।
दीदी बरखा आनंद ने कहा, “हम 2017 में भी गोरखपुर आए थे। तब और अब के गोरखपुर में काफी बदलाव है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शहर ने विकास के नए आयाम गढ़े हैं।”
शिव के गुरु स्वरूप पर जोर
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता दीदी बरखा आनंद ने शिव के गुरु स्वरूप की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “शिव केवल नाम के नहीं, काम के भी गुरु हैं। उनके औढरदानी स्वरूप से धन और संतान जैसे लाभ पाने की परंपरा है, लेकिन उनके गुरु स्वरूप से ज्ञान क्यों न प्राप्त किया जाए? ज्ञान के अभाव में किसी भी संपत्ति का उपयोग घातक हो सकता है।”
शिव को गुरु बनाने की सरल प्रक्रिया
दीदी ने बताया कि शिव का शिष्य बनने के लिए किसी विशेष विधि, दीक्षा, या औपचारिकता की आवश्यकता नहीं है। केवल यह विचार करना कि “शिव मेरे गुरु हैं” ही शिष्यत्व की शुरुआत करता है।
शिव शिष्य आंदोलन का इतिहास
शिव शिष्य साहब श्री हरीन्द्रानन्द जी ने 1974 में शिव को अपना गुरु माना और 1980 के दशक तक यह विचार देश के विभिन्न हिस्सों में फैल गया। दीदी नीलम आनंद और साहब श्री हरीन्द्रानन्द ने जाति, धर्म, या समुदाय से परे मानव मात्र को शिव के गुरु स्वरूप से जोड़ने का आह्वान किया।
तीन सूत्रों का पालन है आवश्यक
दीदी बरखा आनंद ने शिव शिष्य बनने के लिए तीन सूत्र बताएः
1. मन में यह स्वीकार करें कि “शिव मेरे गुरु हैं।”
2. शिव को गुरु बनाने की बात को दूसरों तक पहुंचाएं।
3. मन ही मन शिव को प्रणाम करें, चाहे तो “नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
गोरखपुर में उमड़ा जनसैलाब
महोत्सव में आसपास के इलाकों से हजारों लोग शामिल हुए। सभी ने शिव के गुरु स्वरूप को समझा और अपनाने का संकल्प लिया। दीदी बरखा के साथ अन्य वक्ताओं ने भी शिव के विचारों पर अपने विचार साझा किए।
गोरखनगरी में इस आयोजन ने शिव के आदिगुरु स्वरूप को नए सिरे से परिभाषित किया और लोगों को एक आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।