सूर्यकान्त सिंह, पूर्वांचल प्रेस, गोरखपुर।
गोरखपुर में सड़क किनारे एक नवजात बच्ची मिली है। उसके मां-बाप उसे पीपीगंज-जसवाल मार्ग पर कानापार गांव के पास लावारिस हालत में छोड़ गए थे। उसके रोने की आवाज सुनकर आसपास के लोग पहुंचे तो देखा कि नवजात कपड़ों में लिपटी हुई थी और ठंड से कांप रही थी। लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी।
सुबह करीब चार बजे सूचना मिलते ही हल्का इंचार्ज अजीत यादव और महिला कांस्टेबल नीमा यादव मौके पर पहुंचे। नवजात बच्ची को गंभीर हालत में देखकर उसे तुरंत थाने लाया गया। इसके बाद चाइल्ड केयर सेंटर को सूचित किया गया। केयरटेकर निधि त्रिपाठी की मदद से बच्ची को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसका इलाज शुरू किया।
ठंड में लावारिस छोड़ना बना चर्चा का विषय कड़ाके की ठंड में इस मासूम को सुनसान सड़क किनारे फेंकना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। बच्ची का जिंदा बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं। डॉक्टरों के मुताबिक बच्ची को ठंड लगने से कुछ परेशानी हुई थी, लेकिन अब उसकी हालत स्थिर है।
मां और परिजनों की तलाश में जुटी पुलिस पुलिस इस घटना को बेहद गंभीरता से ले रही है। नवजात को इस हालत में छोड़ने वाली महिला और उसके परिजनों की तलाश की जा रही है। पुलिस ने बताया कि नवजात के साथ हुई इस अमानवीय हरकत के पीछे की सच्चाई का पता लगाने के लिए गहन जांच शुरू कर दी गई है।
इस पूरे प्रकरण में हल्का इंचार्ज अजीत यादव, महिला कांस्टेबल नीमा यादव और चाइल्ड केयर सेंटर की केयरटेकर निधि त्रिपाठी ने समय पर कार्रवाई करते हुए बच्ची की जान बचाई। उनकी संवेदनशीलता और तत्परता ने इस मासूम को एक नई जिंदगी दी।
समाज के लिए बड़ा सवाल
इस घटना ने एक बार फिर समाज के उन पहलुओं को उजागर किया है, जहां मासूम बच्चों को इस तरह लावारिस छोड़ दिया जाता है। ऐसे मामलों को लेकर जागरूकता और कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके।