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चिकित्सा की हर विधा का हो सम्मान

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बृजेश मिश्र, पूर्वांचल प्रेस, मऊ।

आयुर्वेद के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन मऊ के नगर पालिका कम्यूनिटी हॉल में किया गया। इस दौरान बापू आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के बीएएमएस के नवप्रवेशित छात्रों ने आयुर्वेद के बारे में अन्य लोगों को जागरूक किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद के प्रति जन जागरूकता और इसके महत्व को बढ़ावा देना था।

आयुर्वेद पर आधारित नए भारत के निर्माण का संकल्प

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. जीएस तोमर ने आयुर्वेद के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आयुर्वेद एक टाइम टैस्टेड साइंस है, जिसके प्रत्येक सिद्धांत को गहन शोध और परीक्षण के बाद प्रतिष्ठित किया गया है।उन्होंने आयुर्वेद को वैश्विक परिदृश्य में सही तरीके से प्रस्तुत करने के लिए साक्ष्य आधारित शोध की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेद के सिद्धांतों को वैज्ञानिक मापदंडों पर प्रमाणित कर के ही इसे लोक में स्वीकार्य और लोकप्रिय बनाया जा सकता है।

आयुर्वेद में चिकित्सक के 4 प्रमुख गुण

प्रो. डॉ. जीएस तोमर ने आयुर्वेद के चिकित्सक के गुणों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में चिकित्सक, औषधि, परिचारक और रोगी के उपचार के चार पाद बताए गए हैं। चिकित्सक को अपने विषय में दक्ष होना, शास्त्रों का ज्ञान होना, कर्माभ्यास और पवित्रता की आवश्यकता होती है।

आयुर्वेद को अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़ने की अपील

उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सा की विभिन्न विधाओं का उद्देश्य रोगी को रोग मुक्त करना है, लेकिन प्रत्येक विधा की अपनी अच्छाइयां और सीमाएं हैं। इसलिए हमें सभी चिकित्सा विधाओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें प्रतिस्पर्धी न मानकर एक दूसरे का पूरक मानना चाहिए।

कार्यक्रम का शुभारंभ और स्वागत

कार्यक्रम की शुरुआत बापू आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. मनीष राय ने अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन करके की। इस अवसर पर कॉलेज के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आयोजन से आयुर्वेद को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

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