सूर्यकान्त सिंह, पूर्वांचल प्रेस, गोरखपुर।
गोरखपुर जिला जेल में बंद कुख्यात अपराधियों से मुलाकात अब आसान नहीं होगी। जेल प्रशासन ने एक सख्त
दिशा-निर्देश जारी किया है, जिसके तहत इनसे मिलने वाले लोगों की पहचान और सत्यापन किया जाएगा। इसके साथ ही, मुलाकात के दिन भी सीमित किए गए हैं – अब सप्ताह में केवल सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ही कुख्यात बंदियों से मिलने की अनुमति मिलेगी।
मुलाकात के लिए सख्त सत्यापन प्रक्रिया नए नियमों के तहत, मुलाकात करने आने वाले सभी व्यक्तियों की फोटो खींची जाएगी और उनका सत्यापन किया जाएगा। अगर किसी मुलाकाती का सत्यापन में समय लगता है, तो केवल उनके नजदीकी रिश्तेदारों को ही मिलने की अनुमति दी जाएगी। जेल प्रशासन का मानना है कि इस कदम से जेल के भीतर सुरक्षा की स्थिति मजबूत होगी और अपराधी गतिविधियों पर लगाम कसी जा सकेगी।
PCO सुविधा का सत्यापन, कॉल्स की निगरानी अगर कोई कुख्यात बंदी जेल के PCO से किसी से बात करना चाहता है, तो उसे पहले उस व्यक्ति का सत्यापन करवाना होगा। संबंधित थाने से सत्यापन के बाद ही वह व्यक्ति बंदी से बात कर पाएगा। इस प्रक्रिया को LIU द्वारा निगरानी में रखा जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि से बचा जा सके।
जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडेय ने बताया कि जेल प्रशासन ने कुख्यात 10 बंदियों की एक सूची तैयार की है, जिसे स्थानीय अभिसूचना इकाई (LIU) को सौंपी जाएगी।
बैरक व्यवस्था में बड़ा बदलाव, गुटबाजी पर नकेल जेल में बंदियों के बीच गुटबाजी और हिंसक घटनाओं पर काबू पाने के लिए जेल प्रशासन ने बैरक की व्यवस्था में भी बदलाव किया है। अब एक ही गुट के बंदियों को एक ही बैरक में नहीं रखा जाएगा।
जेल प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि बंदियों को उनके नाम के अंग्रेजी अल्फाबेट के आधार पर अलग-अलग बैरकों में रखा जाएगा। इससे एक ही गुट के बंदियों को एक साथ रहने से रोका जा सकेगा और जेल में शांति बनाए रखी जा सकेगी।
जेल में गुटबाजी को लेकर हाल की कार्रवाई
हाल ही में, 24 अक्टूबर को जेल में गुटबाजी को लेकर हुई हिंसक घटना के बाद जेल प्रशासन ने सात कुख्यात बंदियों को विभिन्न जिलों की जेलों में ट्रांसफर कर दिया। इनमें से विकास मणि त्रिपाठी को संतकबीर नगर, सूरज सिंह को देवरिया, और विशाल सिंह को महाराजगंज जेल भेजा गया। यह कदम जेल में शांति व्यवस्था बनाए रखने और भविष्य में होने वाली गड़बड़ियों से निपटने के लिए उठाया गया है।
इस नई व्यवस्था के बाद जेल प्रशासन को उम्मीद है कि कुख्यात बंदियों के खिलाफ कार्रवाई और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार होगा, जिससे गोरखपुर जिला जेल में शांति और अनुशासन कायम रहेगा।