सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब।
सूर्यकान्त सिंह, पूर्वांचल प्रेस, गोरखपुर।
साल 2003 के चर्चित कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में नया मोड़ सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस हत्याकांड में दोषी रोहित चतुर्वेदी की समयपूर्व रिहाई के लिए दाखिल याचिका पर उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा है। जस्टिस अभय एस. ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि वह याचिका पर अपना पक्ष रखे। मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को निर्धारित की गई है।
अमरमणि – मधुमणि को मिली राहत, रोहित चतुर्वेदी की रिहाई पर उठे सवाल
मधुमिता शुक्ला की हत्या के इस मामले में मुख्य आरोपी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को पहले ही माफी दी जा चुकी है। जबकि, एक अन्य आरोपी की मौत हो चुकी है। अब रोहित चतुर्वेदी की रिहाई के लिए दी गई याचिका पर शीर्ष अदालत का यह निर्णय उत्तराखंड सरकार के जवाब पर निर्भर करेगा। याचिका में दोषी चतुर्वेदी ने समयपूर्व रिहाई के लिए सक्षम प्राधिकारी से निर्देश की मांग की है।
बिलकिस बानो केस का दिया हवाला
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने बिलकिस बानो केस के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि चूंकि मधुमिता शुक्ला हत्या मामले को उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड स्थानांतरित किया गया था, इसलिए इस संबंध में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार उत्तराखंड सरकार के पास है।
मधुमिता शुक्ला की हत्या से हिला था उत्तर प्रदेश
दरअसल, लखीमपुर खीरी की कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या ने 2003 में उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया था। गर्भवती मधुमिता को लखनऊ के पेपर मिल इलाके में उनके आवास पर गोली मार दी गई थी। इस निर्मम हत्या में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी पर संलिप्तता का आरोप लगा और उन्हें उसी वर्ष सितंबर में गिरफ्तार कर लिया गया था। कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि, रोहित चतुर्वेदी और संतोष राय समेत पांच अभियुक्तों को इस हत्याकांड में दोषी ठहराया था।
लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। CBI की चार्जशीट के मुताबिक, हत्याकांड के वक्त मधुमिता पेपरमिल कॉलोनी में मधुमिता अकेली रह रही थी। साथ में उनका नौकर देशराज भी वहां रहता था। घटना वाले दिन शूटर संतोष राय और प्रकाश पांडे मधुमिता के घर सुबह के वक्त पहुंचे थे।
मधुमिता उन दोनों के साथ कमरे में बैठकर बातचीत कर रही थी। जबकि, देशराज किचन में चाय बना रहा था। इसी दौरान गोली चलने की आवाज हुई, देशराज दौड़कर जब कमरे में पहुंचता तो कमरे में बिस्तर पर लहूलुहान हालत में मधुमिता पड़ी मिली थी। संतोष राय और प्रकाश पांडे वहां मौजूद नहीं
थे। नौकर देशराज के बयान को अहम मानते हुए CBI ने जब जांच आगे बढ़ाई तो जिसके बाद अमरमणि तक कड़ियां जुड़ती चली गईं थी।
कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
CBI जांच के दौरान अमरमणि पर गवाहों को धमकाने के आरोप लगाए गए थे। जिसके बाद ये मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था। देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2007 को अमरमणि, मधुमणि, भतीजे रोहित चतुर्वेदी, प्रकाश पांडेय और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
जुलाई 2012 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने भी दोषियों को CBI कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। हालांकि, अमरमणि और उसकी पत्नी मधुमणि करीब 20 साल सजा काटने के बाद बीते 25 अगस्त को शासन के निर्देश पर समय से पहले ही जेल से रिहा कर दिया गया था।
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