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हर मनोकामना होगी पूरी,शरद पूर्णिमा पर पूजा के समय जरूर सुने व्रत कथा

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यह योग चन्द्र देव की पूजा करने के साधक को आयोग जीवन का वरदान प्राप्त होता है साथ ही सभी प्रकार के मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है इस दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्णा की भी पूजा होती है

बलिया :- सनातन धर्म में शारदा पूर्णिमा का विशेष महत्व है यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन मन के कारक चंद्र देव की पूजा-उपासना की जाती है। शरद पूर्णिमा तिथि पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर बांके बिहारी कृष्ण कन्हैया लाल की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा पर कोजागरी पूजा भी की जाती है। साधक श्रद्धा भाव से शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो शरद पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करे। साथ ही पूजा के समय यह व्रत कथा जरूर पढ़ें।

कब है शरद पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर आश्विन पूर्णिमा की शुरुआत होगी। वहीं, 17 अक्टूबर को संध्याकाल 04 बजकर 55 मिनट पर आश्विन पूर्णिमा का समापन होगा। इसके बाद कार्तिक माह के प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी। अत: 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी।

व्रत कथा

सनातन शास्त्रों के अनुसार, प्राचीन समय में एक व्यापारी की दो बेटियां थीं। दोनों धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। धर्म-कर्म में विशेष रुचि रखती थीं। नित प्रतिदिन भगवान विष्णु की पूजा करती थीं। साथ ही पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। भगवान विष्णु की कृपा से दोनों का विवाह उच्च परिवार में हुआ। इसके पश्चात भी दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं। छोटी बेटी पूरा व्रत नहीं रख पाती थी। इसके लिए संध्या के समय भोजन कर लेती थी। इसके चलते व्रत का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता था। वहीं, बड़ी बेटी को व्रत के पुण्य प्रताप से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद लगातार पूर्णिमा व्रत करने से छोटी बेटी को भी संतान की प्राप्ति हुई। हालांकि, संतान दीर्घायु नहीं होती थी। एक बार की बात है, जब छोटी बेटी संतान के शोक में बैठी थी। तभी उसकी बड़ी बहन आई। उस समय वह पुत्र को खोने का संताप कर रही थी। उसी क्षण बड़ी बहन के वस्त्र के छूने से छोटी बहन का पुत्र जीवित हो उठा। यह देख छोटी बहन बेहद प्रसन्न हुई और खुशी से रोने लगी। तब बड़ी बहन ने पूर्णिमा व्रत की महिमा बताई। उस समय से छोटी बहन ने विधिपूर्वक पूर्णिमा व्रत किया। साथ ही अन्य लोगों को भी व्रत करने की सलाह दी। तभी से पूर्णिमा तिथि पर व्रत रखा जाता है। शरद पूर्णिमा व्रत करने से कुंडली में चंद्र मजबूत होता है। कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है।

शरद पूर्णिमा कब है
poornima october 2024
sharad purnima 2024 date and time

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