विद्यालयों के विलय पर सांसद ने सीएम को लिखा पत्रः – गरीब बच्चों की शिक्षा पर संकट- राजीव राय।

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बृजेश मिश्र, पूर्वांचल प्रेस, मऊ।

मऊ में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 50 से कम नामांकन वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को विलय कर बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। सांसद राजीव राय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है।

गरीब बच्चों की शिक्षा छिन जाएगी

सांसद राजीव राय ने पत्र में कहा कि इन विद्यालयों में अधिकांशतः गरीब, शोषित, वंचित, पिछड़े और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। ग्रामीण इलाकों में ऐसे विद्यालय ही बच्चों की शिक्षा का एकमात्र सहारा हैं। यदि उन्हें मर्ज कर दूरस्थ विद्यालयों में भेजा जाएगा, तो वहां तक पहुंचना इन बच्चों के लिए दुष्कर और असंभव होगा।

संविधान और RTE कानून का उल्लंघन

राजीव राय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि विद्यालयों का यह मर्जर निर्णय शिक्षा विरोधी है। यह न केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A (शिक्षा का अधिकार) और RTE एक्ट 2009 की भावना के विपरीत है, बल्कि अनुच्छेद 46 में वर्णित सामाजिक न्याय और कमजोर वर्गों के संरक्षण के दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन है।

बच्चों, विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा पर गहरा असर

सांसद ने पत्र में चेताया कि मर्जर के बाद बच्चों को 3 से 5 किलोमीटर दूर विद्यालयों में भेजा जाएगा। इसका सीधा असर यह होगा कि स्कूल ड्रॉपआउट रेट में भारी इजाफा होगा। बालिकाएं बड़ी संख्या में पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होंगी। ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में शिक्षा का अधिकार केवल कागजों तक सीमित रह जाएगा।
सरकार से फैसले पर पुनर्विचार की मांग

राजीव राय ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह इस आदेश को तत्काल निरस्त करें और गांव-गांव में शिक्षा की उपलब्धता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि विकास की असली बुनियाद शिक्षा है और यदि बच्चों से शिक्षा छीन ली गई तो उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।

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